जेल से बाहर आए महिपाल मदेरणा ने लोगों से कहा- समय आ गया है फैसला लेने का
जोधपुर. एएनएम भंवरी देवी के अपहरण और हत्या मामले में आरोपी पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा चुनाव से पहले शनिवार को एक दिन की जमानत पर बाहर आए. केंद्रीय कारागृह से सीधे वे अपने पैतृक ग्रांम चाडी के लिए रवाना हुए. रास्ते में उन्होंने लोगों से मुखातिब होते हुए कहा कि समय आ गया है सही फैसला लेने का.
लोगों के बीच महिपाल मदेरणा.
इस दौरान ओसियां उपखंड मुख्यालय पर लोगों से मुखातिब होते हुए महिपाल मदेरणा ने कहा कि उन्हें कुछ नहीं कहा गया है. आनेवाले समय का सदुपयोग अपने हिसाब से करना है. मेरा ओसियां के प्रति अटूट प्रेम है, आपका प्रेम है, इसलिए यह कह रहा हूं. बहुत सारी बातें कहना चाहता हूं. आपके लिए मेरा कहना है कि मिलजुल कर रहो. बहुत बाते हैं. मेरे पिताजी और मैंने लंबा राजनीतिक जीवन जिया है. पढ़ें:राजस्थान चुनाव 2018: पहली बर मतदान केन्द्रों की होगी वीडियोग्राफी, CCTV से निगरानी
उन्होंने आगे कहा कि अब यह बागडोर आपके हाथ में है. वक्त आ गया है, ध्यान रखना. ओसियां को मैं भुला नहीं सकता, दिखावे में मत चले जाना. मेरे पास कई बंधन हैं. इस दौरान मदेरणा के साथ बेटी दिव्या भी मौजूद रहीं. लोगों ने भी महिपाल मदेरणा को पूरा साथ देने का भरोसा दिलाया.
गौरतलब है कि भंवरी मामले के दौरान महिपाल मदेरणा भोपालगढ़ से विधायक थे और गहलोत सरकार में पीएचईडी मंत्री थे. इस पद पर रहते हुए ही उन पर आरोप लगे तो उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. इसके बाद नए परिसीमन में भोपालगढ़ सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई. इसलिए 2013 में महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा को कांग्रेस ने ओसियां से टिकट दिया था, लेकिन वो चुनाव हार गई थीं.
मां-बेटी के दौरे जारी... ओसियां से चुनाव के लिए पिछले एक माह से अधिक समय से मां लीला मदेरणा के साथ बेटी दिव्या मदेरणा का क्षेत्र में दौरे जारी हैं. दोनों गांव, ढाणी तक पहुंच कर समर्थन जुटा रही हैं. इन बातों से साफ संकेत मिलता है कि उनके परिवार से किसी न किसी को यहां से टिकट मिलना तय है. हालांकि, यह आने वाले कुछ ही समय में सबकुछ साफ हो जाएगा.
1952 में पहला चुनाव परसराम मदेरणा ने लड़ा था... ओसियां विधानसभा से 1952 में परसराम मदेरणा ने पहला चुनाव लड़ा था और जीते थे. दो बार यहां से विधायक बने. उनका पैतृक गांव चाडी इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है. इसके बाद उन्होंने भोपालगढ़ का रूख कर लिया और वहां से चुनाव लड़ते रहे. ओसियां को मदेरणा का पैतृक सीट माना जाता है.